उत्तराखंड: ऑटो-रिक्शा का किराया भी हुआ महंगा, वैसे वसूली तो अपने हिसाब से ही करते हैं…
उत्तराखंड: ऑटो-रिक्शा का किराया भी हुआ महंगा, वैसे वसूली तो अपने हिसाब से ही करते हैं… पहाड़ समाचार editor
देहरादून: महंगाई रिकॉर्ड तोड़ रही है। अब शायद ही कोई ऐसी चीज होगी, जो सस्ती हो रही होगी। खाने-पीने के सामने से लेकर सिलेंडर, पेट्रोल-डीजल, रोडवेज बस किराया। टैक्सी का किराया, सबकुछ महंगा हो गया है। अगर आप उत्तराखंड में राजधानी देहरादून या किसी ऐसी जगह पर हैं, जहां ऑटो-रिक्शा का संचालन होता है, तो अपको अब किराया देने के लिए जेब ज्यादा ढीली करनी होगी। राज्य परिवहन प्राधिकरण ने ऑटो-रिक्शा का किराया बढ़ाने को हरी झंडी दे दी है।
ऑटो-रिक्शा में भी सफर महंगा हो गया है। ऑटो-रिक्शा संचालकों ने किराया बढ़ा दिया है। पहले दो किलोमीटर का किराया 50 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये कर दिया है। इसके बाद प्रति किमी किराया भी 15 रुपये से बढ़ाकर 18 रुपये कर दिया है। नये किराया की सूची सभी ऑटो-रिक्शा में चस्पा की जा रही है। शहर में 2394 ऑटो-रिक्शा चलते हैं। सभी शहर से 25 किमी की परिधि में चलते हैं।
हालांकि, राज्य परिवहन प्राधिकरण (STA) ने एक महीने पहले यात्री वाहनों के किराया में बढ़ोत्तरी की। लेकिन, ऑटो-रिक्शा संचालकों ने अभी तक किराया नहीं बढ़ाया था। अब यूनियन ने सभी संचालकों को प्राधिकरण की ओर से तय किराया के अनुसार किराया बढ़ाने के लिए कह दिया है, जिसके बाद किराया बढ़ा दिया गया है। नये किराये की रेट लिस्ट ऑटो-रिक्शा पर चस्पा की जा रही है।
नये किराया के तहत घंटाघर से आईएसबीटी का किराया 150, सहस्रधारा का 276, प्रेमनगर का 186, डोईवाला का 384 रुपये हो गया है। यह किराया दून ऑटो-रिक्शा यूनियन ने एसटीए की ओर से तय किराया के अनुसार बनाया है। इसमें पहले दो किमी का 60 और इसके बाद प्रति किमी 18 रुपये है। रात दस से सुबह पांच बजे तक 50 फीसदी अतिरिक्त किराया लिया जाएगा।
किराया भले ही अब बढ़ाया गया हो, लेकिन ऑटो-रिक्शा वाले लोगों से पहले से ही मानमानी किराया वसूलते रहे हैं। जिन लोगों ने रेट लिस्ट चस्पा भी कर दी है, वह भी मनमानी कर रहे हैं। शहर में ज्यादातर ऑटो-रिक्शा वाले अपनी मर्जी से किराया वूसल करते हैं। स्थिति यह है कि ऑटो-रिक्शा पर मीटर भी नहीं लगाया गया है, जिसके चलते वो अपनी मर्जी के अनुसार किराया वसूलते हैं।
उत्तराखंड: ऑटो-रिक्शा का किराया भी हुआ महंगा, वैसे वसूली तो अपने हिसाब से ही करते हैं… पहाड़ समाचार editor