राजकीय महाविद्यालय मंगलौर के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित की गयी राष्ट्रीय संगोष्ठी, मुख्य वक्ता प्रो. धर्मवीर महाजन ने पितृसत्तामक मूल्यों पर किया कड़ा प्रहार
मंगलौर/रूडकी : राजकीय महाविद्यालय मंगलौर हरिद्वार ने उच्च शिक्षा में नये आदर्शों को प्राप्त करते हुए समाजशास्त्र विभाग द्वारा “21 वीं सदी में बाजारवाद और उदारीकरण के दौर में महिलाओं की सुरक्षा, समस्या एवं चुनौतियों” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो. धर्मवीर महाजन, प्रति कुलपति एवं सीनेट सदस्य, अन्तराष्ट्रीय रिसर्च फाउन्डेशन, नई दिल्ली विशिष्ट अतिथि डॉ. अनिता मोराल एसो. प्रो. मनोविज्ञान विभाग, मेरठ महाविद्यालय मेरठ, डॉ. प्रशान्त कुमार समाजशास्त्र विभाग, श्री देव सुमन विश्वविद्यालय, ऋषिकेश परिषर एवं डॉ. राकेश राणा, एसो. प्रो. समाजशास्त्र विभाग एमएमएच महाविद्यालय गाजियाबाद, ने दीप प्रज्जवलित कर सरस्वती वंदना करी। इस के उपरान्त संगोष्ठी का संचालन कर रहे डॉ. प्रवेश त्रिपाठी ने आंमत्रित अतिथियों का स्वागत करने के लिए भारती, असमा, अमीशा, इत्यादि छात्राओं को निमंत्रित किया। अनन्तर, महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. तीर्थ प्रकाश ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय संगोष्ठी को सफल होने के लिए शुभकामनायें दी।
इस के उपरान्त राष्ट्रीय संगोष्ठी की समन्वयक डॉ. दीपा शर्मा ने संगोष्ठी के उददेश्य एवं लक्ष्य सामने रखे । उन्होंने सवाल उठाया कि बाजारवाद के युग में महिलाओं की छवि इतनी अशोभनीय क्यों प्रस्तुत की जाती है, इस के उपरान्त विशिष्ट अतिथि डॉ. अनिता मोराल एसो. प्रो. मनोविज्ञान विभाग, ने बताया की बाजारवाद एक विचार है जिस के जरिए बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत की संस्कृति पर प्रहार कर रही है। उन्होंने उदाहरण दिया कि क्रीम कम्पनियों ने अपने विज्ञानपनों के जरिए यह भ्रम फैलाया कि गोरी लड़की ही सुन्दर एवं आत्मविश्वासी हो सकती है। इनके बाद गाजियाबाद से पधारें डॉ. राकेश राणा ने महिलाओं को चुनौतियों को अवसर में बदलने की प्ररेणा दी। ऋषिकेश परिशर से पधारें प्रो. प्रशान्त कुमार ने चेताया कि महिलाओं को समान कार्य के लिए समान वेतन नही दिया जाता तथा आवाज उठाने पर उन का उत्पीड़न किया जाता है।
इस के उपरान्त मुख्य वक्ता प्रो. धर्मवीर महाजन द्वारा पितृसत्तामक मूल्यों पर कड़ा प्रहार करतें हुए यह उजागर किया कि एक तिहाई महिलाएँ अपने घर में ही हिंसा का शिकार होती है। इस के उपरान्त महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. तीर्थ प्रकाश ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में आमन्त्रित अतिथियों का धन्यवाद दिया। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि यदि भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में अग्रणी होना है तो महिलाओं के प्रति सोच को बदलना होगा। इस के पश्चात प्राचार्य द्वारा आमन्त्रित अतिथियों का शॉल एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। इस कार्यकम को सफल बनाने के लिए महाविद्यालय परिवार के डॉ. प्रज्ञा राजवंशी, डॉ. कलिका काले, डॉ. अनुराग, डॉ. रचना वत्स श्रीमती सरमिष्टा, गीता जोशी, फैजान अली, सूर्य प्रकाश, रोहित, सन्नी, जगपाल एवं छात्र छात्राओं बहुतायत में उपस्थित रहे।