नवीन बिष्ट को जनपद स्तर पर श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता में मिला द्वितीय स्थान
कोटद्वार । राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार के संस्कृत विभाग के छात्र नवीन बिष्ट ने जनपद स्तर पर श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त कर महाविद्यालय का नाम रोशन किया । उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा सोलहवां संस्कृत महाकुंभ, कनिष्ठ एवं वरिष्ठ वर्ग की प्रतियोगिताएं जो विगत माह अक्टूबर की 15 व 16 तारीख को खंड स्तरीय, जनता इंटर कॉलेज मोटाढांग कोटद्वार में सम्पन्न हुई थी वहीं नवम्बर 12 व 13 को जनपद स्तरीय प्रतियोगिताएं जानकी नगर सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज कोटद्वार में संपन्न हुई । जिसमें संस्कृत नाटक, संस्कृत समूह गान, संस्कृत नृत्य, संस्कृत वाद विवाद, संस्कृत आशु भाषण एवं संस्कृत श्लोकोच्चारण प्रतियोगिताएं संपन्न हुई । इन प्रतियोगिताओं में वरिष्ठ वर्ग में महाविद्यालय के छात्र छात्राओं ने बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया । खंड स्तरीय प्रतियोगिताओं में संस्कृत समूह गान- निकिता, स्वाति, चारु, शालिनी, आशीष, दिव्यांशी, आभास, मनीषा एवं संस्कृत समूह नृत्य में चारु, रुखसार, खुशबू, सृष्टि, शाईना, आशीष, आभास, नवीन आदि छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया । जिसमें संस्कृत समूह गान में तृतीय स्थान एवं संस्कृत श्लोकोच्चारण में नवीन बिष्ट ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया।
उत्तराखंड संस्कृत अकादमी हरिद्वार द्वारा आयोजित खंड स्तरीय एवं जनपद स्तरीय प्रतियोगिताओं में विजयी छात्र छात्राओं को प्रशस्ति पत्र, धनराशि एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए। संस्कृत विभाग के प्राध्यापकों के अथक सहयोग एवं प्रयास के द्वारा नवीन बिष्ट ने जनपद स्तर पर 27 विकास खंडों के विद्यालयों एवं संस्कृत महाविद्यालयों के लगभग 40 छात्रों के मध्य में संस्कृत श्लोकोच्चारण में द्वितीय स्थान प्राप्त कर संस्कृत अकादमी का ही नहीं अपितु राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार के संस्कृत विभाग को भी गौरान्वित किया । महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर डीएस नेगी ने खंड स्तरीय समूह गान प्रतियोगिता में तृतीय स्थान एवं श्लोकोच्चारण में द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले तथा जनपद स्तर पर भी द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्र नवीन बिष्ट को, साथ ही संस्कृत समूह नृत्य में प्रतिभाग करने वाले छात्र छात्राओं को बधाई दी, तथा संस्कृत विभाग के विभाग प्रभारी डॉक्टर अरुणिमा, प्राध्यापक डॉ मनोरथ प्रसाद नौगाई एवं डॉ प्रियम अग्रवाल को शुभाशीष देते हुए संस्कृत विभाग को निरंतर अग्रसर होने की प्रेरणा दी।