उत्तराखंड: यमुना पुत्र आचार्य सुरेश उनियाल से जानें, 11 अगस्त को क्यों मनाएं रक्षा बंधन
उत्तराखंड: यमुना पुत्र आचार्य सुरेश उनियाल से जानें, 11 अगस्त को क्यों मनाएं रक्षा बंधन पहाड़ समाचार editor
रक्षा बंधन को लेकर लगातार संशय बना हुआ था। लोग इस बात को लेकर कंन्फ्यूज हैं कि राखी 11 अगस्त को मनाया जाएगा या फिर 12 अगस्त को। इस बात को लेकर यमुना पुत्र आचार्य सुरेश उनियाल ने बताया कि रक्षाबंधन श्रावणी उपाकर्म को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। यह विडंबना है कि हिंदू धर्म में कई पर्वों को लेकर एकरूपता देखने को नहीं मिलती है। पूरा भारत वर्ष एक दिन पर्व मनाता है। जबकि, एक क्षेत्र विशेष के लोग अगले दिन पर्व मनाते हैं।
उनका कहना है कि हिंदू धर्म की रक्षा के लिए हम सभी को एक मत होना होगा। अलग-अलग दिन पर्व मनाने से हिंदू समाज विखंडित हो रहा है। हिंदू धर्म की रक्षा और अखंडता के लिए विद्वानों का कर्तव्य होता है कि हम एकमत होकर धर्म की रक्षा करें। हिंदू पर्वों पर एकमत होकर उत्सव मनाएं। राष्ट्रीय हिंदू पर्वों का निर्धारण “राष्ट्रीय पंचांग सुधार समिति” के सौ से ज्योतिष कर्मकांड, वेद, धर्म शास्त्रों, के विद्वानों की अनुशंसा पर किया है। जिन्होंने अपने अमर ग्रंथ “व्रत पर्व विवेक” में 2022 के लिए रक्षाबंधन तिथि 11 अगस्त ही निर्धारित की हैं
1.धर्मसिंधु.
2. निर्णय सिंधु.
3. पीयूष धारा
4. मुहूर्त चिंतामणि
5. तारा प्रसाद दिव्य पंचांग का अध्ययन करने पर इस परिणाम पर पहुंचेंगे कि 11 अगस्त 2022 को ही रक्षाबंधन, श्रावणी उपाकर्म पर्व शास्त्र सम्मत है।
रक्षा बंधन और श्रावणी उपाकर्म में मुख्यतः पूर्णिमा तिथि एवं श्रवण नक्षत्र का होना आवश्यक माना गया है। इस वर्ष 11 अगस्त को 10 बजकर 39 मिनट से पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ हो रही है जो पूरे दिन व्याप्त है जबकि श्रवण नक्षत्र प्रातः 6रू53 से प्रारंभ हो जाएगा। कई जातकों का इसमें प्रश्न है कि उत्तराषाढ़ा युक्त श्रवण नक्षत्र में उपा कर्म रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए।
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र दो मुहूर्त यदि हो तो उसका दुष्प्रभाव होता है, परंतु रक्षाबंधन के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र केवल 5 मिनट तक रहेगा जबकि एक मुहूर्त 48 मिनट का होता है। यह तथ्य भी यहां पर लागू नहीं होता है। इसके अतिरिक्त धर्मसिंधु में कहा गया है यजुर्वेदियों के लिए नक्षत्र की प्रधानता नहीं अपितु तिथि की प्रधानता देखी जाती है और पूर्णिमा 11 अगस्त को व्याप्त है और 12 अगस्त को पूर्णिमा तीन मुहूर्त नहीं होने के कारण रक्षाबंधन, उपाकर्म संस्कार मनाना शास्त्र सम्मत नहीं है।
12 अगस्त को रक्षाबंधन मनाना क्यों शास्त्र सम्मत नहीं है?
क्योंकि 12 अगस्त को पूर्णिमा प्रातः 7 बजकर 6 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। जोकि, सूर्याेदय के बाद 18 मिनट ही होते हैं जो कि एक मुहूर्त से भी कम है। अथ रक्षा बन्धनस्यामेव पूर्णिमायां भद्रा रहितायां त्रिमुहूर्ताधिकोदय व्यापिण्याम अपराह्न प्रदोषे वा कार्यं उदय त्री मुहूर्त न्युनस्य पूर्वेधु भद्रा रहिते प्रदोषादिकाले कार्यम।
इस वर्ष 11 अगस्त 2022 को अपराहन व्यापिनी पूर्णिमा में भद्रा दोष व्याप्त है और आगामी दिन 12 अगस्त शुक्रवार को पूर्णिमा त्रि मुहूर्त व्यापिनी नही है। पूर्णिमा केवल 7 बजकर 6 मिनट पर समाप्त हो रही है। शास्त्र निर्णयानुसार रक्षाबंधन 11 तारीख को है। भद्रा दोष नहीं है। क्योंकि भद्रा पाताल की है। इसलिए सभी विद्ववानों के अनुसार अभिजीत मुहूर्त 12 बजकर 26 मिनट से 1 बजकर 34 मिनट तक है और भद्रा पुंछ 5 बजकर 19 मिनट से 6 बजकर 53 तक है। रक्षा बंधन करना श्रेयस्कर है। दूसरे दिन प्रतिपदा भेद की पूर्णिमा में 12 तारीख किसी भी प्रमाण से नहीं है।
स्वर्गे भद्रा शुभं कुर्यात पाताले च धनागम।
मृत्युलोक स्थिता भद्रा सर्व कार्य विनाशनी ।।
जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में होती है तब वह शुभ फल प्रदान करने में समर्थ होती है। 11 अगस्त को पूरे दिन भद्रा व्याप्त है परंतु भद्रा मकर राशि मे होने से इसका वास पाताल लोक में माना गया है।
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