Wednesday, January 1st 2025

सरकार ने राज्य में ज्योतिष को बढ़ावा देने के लिये उत्तराखंड ज्योतिष परिषद का किया गठन – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

सरकार ने राज्य में ज्योतिष को बढ़ावा देने के लिये उत्तराखंड ज्योतिष परिषद का किया गठन – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
देहरादून : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को ग्राफिक एरा कॉलेज, देहरादून में एक समाचार पत्र द्वारा आयोजित ज्योतिष महाकुंभ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ज्योतिष विद्या के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्य कर रहे ज्योतिषों को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड ज्योतिष रत्न से आचार्य रमेश सेमवाल और जन ज्योतिष रत्न से पंडित पुरुषोत्तम गौड़ को भी सम्मानित किया। 
मुख्यमंत्री ने देशभर से आए ज्योतिषों का स्वागत करते हुए प्राचीन ज्ञान पर चर्चा कराने हेतु आयोजकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा उत्तराखण्ड में ज्योतिष शास्त्र की लम्बी परंपरा और गौरवशाली इतिहास रहा है। यह भूमि प्राचीन काल से ऋषि मुनियों और ज्योतिषाचार्यों की तपस्थली एवं साधना का केंद्र रही है। हमारी महान सनातन संस्कृति में प्राचीन काल से ज्ञान, कर्म, उपासना के साथ अलौकिक विद्याओं के रहस्यों को उजागर किया जाता रहा है। वेद, पुराण, उपनिषद जैसे ग्रंथ प्रदान करने वाले भी ऋषि मुनि ही थे। 
मुख्यमंत्री ने कहा सौरमंडल में ग्रहों की स्थिति, चंद्रग्रहण – सूर्यग्रहण की तिथियाँ, ज्वार-भाटा,  एवं अन्य वैज्ञानिक घटनाओं को हमारे महान ऋषियों और मुनियों ने अपने ग्रंथों से परिभाषित किया है।ऋषियों ने मानव की भलाई के लिए कई वैज्ञानिक ग्रंथों और मान्यताओं की रचना की। ज्योतिष भी उन्हीं ऋषियों द्वारा प्रदत्त एक महान वैज्ञानिक दृष्टि है। प्राचीन काल से भारतीय सनातन परंपरा में ज्योतिष शास्त्र का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। महर्षि पराशर, आर्यभट्ट, जैसे अनेकों विद्वानों द्वारा सैकड़ों वर्षों तक शोध एवं गणितीय विश्लेषण के बाद तैयार किया विज्ञान आज के कंप्यूटर युग में भी प्रासंगिक है।
मुख्यमंत्री ने कहा राज्य सरकार ने राज्य में ज्योतिष को बढ़ावा देने के लिये उत्तराखंड ज्योतिष परिषद का गठन किया है। जिससे युवा पीढ़ी को प्राचीन भारतीय ज्ञान और विज्ञान को समझने में सहायता मिल रही है। उन्होंने कहा ज्योतिष अतीत की विरासत के साथ ही भविष्य की चाबी भी है। ज्योतिष शास्त्र एक ऐसा नेत्र है जो भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों को देख सकता है। ये शास्त्र भौतिक, आध्यात्मिक और दैविक विचारों का समन्वय है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, विकास और विरासत को साथ में आगे बढ़ाने की बात करते हैं। हमें अपनी महान मान्यताओं और उपलब्धियों पर गर्व करना सीखना है। आधुनिक विज्ञान के साथ ही एंसेंट इंडियन नॉलेज सिस्टम को भी समझना होगा।
इस अवसर पर स्वामी चिदानंद मुनि जी महाराज, कमल घनसाला, आचार्य चंद्रशेखर शस्त्री, संजीव श्रीवस्तवा, लक्ष्मीकांत त्रिपाठी, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी, स्थानीय सम्पादक अनुप बाजपाई, पंकज शर्मा, राकेश खंडूरी,  एवं अन्य लोग मौजूद रहे।