हरिद्वार (चंद्रप्रकाश बहुगुणा): आज जब समाज नैतिकता, चरित्र और आध्यात्मिकता के संकट से गुजर रहा है, तब देवसंस्कृति विश्वविद्यालय (देसंविवि) हरिद्वार एक आशा की किरण बनकर उभर रहा है। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज द्वारा संचालित यह संस्थान शिक्षा का केंद्र के साथ ही नवभारत निर्माण का एक सशक्त माध्यम बन गया है।
देसंविवि की स्थापना गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पूज्य पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी की दिव्य संकल्पना को मूर्त रूप देने के उद्देश्य से की गई। पूज्य आचार्यश्री कहते हैं-एक ऐसा विश्वविद्यालय देश में होना चाहिए, जो सच्चे मनुष्य, बड़े मनुष्य, महान् मनुष्य, सर्वांगपूर्ण मनुष्य बनाने की आवश्यकता को पूर्ण कर सके।’ इसी भावना को साकार करते हुए विवि के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या जी ने देसंविवि को तक्षशिला की तर्ज पर विकसित किया है, जहाँ हजारों छात्र-छात्राएँ शैक्षणिक ज्ञान पाते हैं और चरित्र निर्माण, राष्ट्र सेवा और मानवता के उत्थान में भी सक्रिय योगदान दे रहे हैं। यह विश्वविद्यालय उन गिने-चुने संस्थानों में है, जहाँ भारतीय संस्कृति की आत्मा को शिक्षा के हर स्तर पर समाहित किया गया है। विद्यार्थियों को डिग्री के साथ-साथ सम्मानजनक, स्वावलंबी जीवन जीने की कला, समर्पण भाव और राष्ट्रभक्ति का भाव भी सिखाया जाता है।
प्रतिकुलपति युवा आइकान डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने बताया कि यहाँ शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं, बल्कि समाज को दिशा देना और राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाना है। विश्वविद्यालय में अध्ययन के तुरंत बाद विद्यार्थियों को अनूठी इंटर्नशिप प्रोग्राम के तहत समाज के विभिन्न क्षेत्रों में भेजा जाता है, जहाँ वे एक परिव्राजक के रूप में सेवा, नैतिकता और जागरूकता का संदेश फैलाते हैं।
देसंविवि पूर्ण रूप से आवासीय विश्वविद्यालय है। विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षक और अधिकारी भी परिसर में ही निवास करते हैं। यह गुरु-शिष्य परंपरा को जीवंत करता है, जहाँ व्यवहार के माध्यम से शिक्षा दी जाती है और जीवन मूल्यों की नींव मजबूत की जाती है। देसंविवि कहता है कि शिक्षा वह है, जो चरित्र गढ़े, समाज को जोड़े, और राष्ट्र को दिशा दे।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज एक ऐसी भूमि है जहाँ से नवयुग का नवनिर्माण शुरू हो रहा है। यहाँ से निकलने वाले छात्र महज डिग्रीधारी नहीं, बल्कि संस्कारवान, सेवाभावी और विचारशील नागरिक बनते हैं। यह विश्वविद्यालय मनुष्य को देवत्व की ओर अग्रसर करने का कार्य करता है। वास्तव में यह एक ऐसी क्रांति है जो शांति, श्रद्धा और सेवा के मूल्यों से सुसज्जित है- जो समाज को नया आयाम देती है।
इस विश्वविद्यालय को देश के कई उच्च पदस्थ नेताओं व गणमान्य व्यक्तियों ने भी सराहा है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, प्रणब मुखर्जी, रामनाथ कोविंद जैसी विभूतियाँ यहाँ बतौर राष्ट्रपति पधार चुकी हैं। वहीं गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जैसे अनेक नेता यहाँ के शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक प्रयासों की सराहना कर चुके हैं। यहाँ से स्नातक हुए पत्रकारिता, थ्रीडी एनिमेशन, कंप्यूटर साइंस और योग जैसे क्षेत्रों के विद्यार्थी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विश्वविद्यालय की गरिमा को बढ़ा रहे हैं। वे देश और दुनिया में भारतीय संस्कृति और मूल्यों के ब्रांड एम्बेसडर बनकर उभरे हैं।