केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने प्रसिद्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा को श्री रघुनाथ कीर्ति सेवा सम्मान से किया सम्मानित
देवप्रयाग: प्रसिद्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा को हिन्दी पखवाड़ा के समापन पर केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर-देवप्रयाग में ‘श्री रघुनाथ कीर्ति हिन्दी सेवा सम्मान -2024’ से सम्मानित किया गया। उनको यह सम्मान पूर्व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने दिया। सम्मान के तहत स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र व सम्मान राशि का चेक भेंट किया किया गया। इस अवसर पर देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी, अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. पी. वी. बी. सुब्रह्मण्यम, हिन्दी पखवाड़ा कार्यक्रम के संयोजक डॉ. वीरेन्द्र सिंह बर्तवाल ने उपस्थिति रहे।
प्रति वर्ष यह सम्मान हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाता है। इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में सफल छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और कर्मचारियों को भी इस अवसर पर पुरस्कृत किया गया।
महावीर रवांल्टा ने कहा कि केन्द्रीय संस्कृत विश्व विद्यालय, श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर की ओर से मिले इस सम्मान ने सृजन के प्रति मेरी जिम्मेदारी को और भी बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि परिसर के सभी जनों से मिली आत्मीयता व प्रेम से अभिभूत हूं।
जानें कौन हैं महावीर रवांल्टा
उत्तराखंड के समकालीन साहित्यकारों में महावीर रवांल्टा ने विशिष्ट पहचान बनाई है। महावीर रवांल्टा गद्यकार, अभिनेता और कवि हैं। उन्होंने अपने साहित्य में लोक को सबसे ज्यादा स्थान दिया। अपने आसपास की घटनाओं को उन्होंने अपना विषय चुना। पहाड़ी लोकजीवन की ऐसी गहरी समझ किसी और में नहीं दिखाई देती है। अब तक उनकी विभिन्न विधाओं में 43 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
लोक के प्रति प्रेम
अपने लोक के प्रति उनका प्रेम उनकी रचनाओं में साफ नजर आता है। रवांई क्षेत्र की संस्कृति, लोकजीवन, लोक परंपराओं और लोकगीत भी कहीं ना कहीं उनकी रचनाओं में अपनी जगह बना ही लेते हैं। महावीर रवांल्टा साहित्य विभिन्न विधाओं को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने नाटक, उपन्यास, कहानी, रवांल्टी कविता संग्रह, लोक कथाएं और बाल साहित्य भी रचा है।
दरवालु जनलहर में प्रकाशित
महावीर रवांल्टा का जन्म सरनौल गांव में 10 मई 1966 को हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा गांव और फिर उत्तरकाशी में हुई। 1995 में पहली रवांल्टी कविता दरवालु जनलहर में प्रकाशित हुई। देशभर की विभिन्न प्रतिष्ठित पत्रिकाओं मे रचनाओं का प्रकाशन लगातार हो रहा है।
आकाशवाणी और दूरदर्शन में प्रसारण
आकाशवाणी और दूरदर्शन में प्रसारण का सिलसिला भी जारी है। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में इनके साहित्य पर लघु शोध और शोध कार्य हो चुके हैं। महावीर रवांल्टा का कहना है कि साहित्य, संस्कृति और लोक भाषा हमारी पहचान है। पहाड़ की विकटता को करीबी से देखा और जाना है।
रवांल्टी को संरक्षित करने का काम
महावीर रवांल्टा ने हिन्दी साहित्य के साथ लोकभाषा रवांल्टी को संरक्षित और संवर्धित करने का काम किया है। उन्होंने रवांल्टी में लेखन के लिए एक टीम तैयार की। आकाशवाणी से लेकर दूरदर्शन और विभिन्न मंचों पर भी रवांल्टी को कविताओं में रूप में पहुंचाया। रवांल्टी भाषा आंदोलन का असर भी देखने को मिल रहा है। रवांल्टी में लिखने में दिलचस्पी बढ़ी है। सोशल मीडिया में बहुत सारे लोग लगातार लिख रहे हैं।
अब तक मिले ये सम्मान
1. सैनिक एवं उनका परिवेश विषय पर अखिल भारतीय कहानी लेखन प्रतियोगिता में ‘अवरोहण’ कहानी के लिए कानपुर (उत्तर प्रदेश) में परमवीर चक्र विजेता ले. कर्नल धन सिंह थापा सुप्रसिद्ध उद्घोषक पद्मश्री जसदेव सिंह और एयर मार्शल आरसी वाजपेयी के हाथों पहली बार सम्मान मिला।
2. स्व. वेद अग्रवाल स्मृति सम्मान (मेरठ)।
3. सेठ गोविन्द दास सम्मान (जबलपुर)।
4. डॉ. बाल शौरि रेड्डी सम्मान (उज्जैन)।
5. स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान (रांची)।
6. यमुना घाटी का प्रतिष्ठित तिलाड़ी सम्मान (बड़कोट)।
7. जनधारा सम्मान (नैनबाग)।
8. अम्बिका प्रसाद दिव्य रजत अलंकरण (भोपाल)।
9. उत्तराखण्ड शोध संस्थान रजत जयंती सम्मान हल्द्वानी।
10. कमलराम नौटियाल स्मृति सम्मान (उत्तरकाशी)।
11. तुलसी साहित्य सम्मान (भोपाल)।
12. उत्तरखंड फिल्म, टेलीविसिओ एवं रेडियो एसोसिएशन की ओर से सम्मान (देहरादून)।
13. युवा लघु कथाकार सम्मान (दिल्ली)।
14. बाल साहित्य संस्थान (अल्मोड़ा)।
15. बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केन्द्र (भोपाल)।
16. उत्तराखंड बाल कल्याण साहित्य संस्थान (खटीमा)।
17. उत्तराखंड भाषा संस्थान का प्रतिष्ठित उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान-गोविंद चातक सम्मान।
18.रवांई लोक महोत्सव में बर्फिया लाल जुवांठा सम्मान।
19. श्रीदेव सुमन सम्मान मिला।
20. बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा की ओर से बाल साहित्य के लिए सम्मानित।
23. अमर उजाला की ओर से उत्तराखंड उदय सम्मान।