शनिदेव की विधिवत पूजा करने से होता है कष्टों का नाश, घर में इसलिए नहीं रखनी चाहिए शनिदेव की प्रतिमा
दिल्ली : ऐसी मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की विधिवत पूजा करने से कष्टों का नाश होता है। साथ ही इस दिन व्रत रखने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और साढ़ेसाती से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि शनिदेव के क्रोध से मुक्ति के लिए मूल नक्षत्रयुक्त शनिवार से आरंभ करके सात शनिवार तक पूजा करने के साथ-साथ व्रत भी रखने चाहिए। शनिदेव के कोप से बचना बेहद जरूरी होता है, नहीं तो मनुष्य पर कई तरह के दोष लग जाते हैं।
हिंदू धर्म में लोग सुबह-शाम अपने घरों में बने पूजास्थल या आसपास के मंदिर में भगवान के दर्शन और उनकी आराधना करते हैं। घर पर बने पूजा स्थल में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी होती हैं। शास्त्रों में कुछ देवी-देवताओं की मूर्तियां या फोटो को घर पर रखना वर्जित माना गया है। इन्हीं में से एक शनिदेव की मूर्ति भी है। शनिदेव की मूर्ति को घर पर रखना वर्जित है। शास्त्रों के अनुसार शनिदेव की मूर्ति घर के मंदिर में नहीं रखनी चाहिए, बल्कि इनकी पूजा घर के बाहर किसी मंदिर में ही करने का विधान बताया गया है।
मान्यता है कि शनिदेव को शाप मिला हुआ है कि वह जिस भी किसी को देखेंगे उसका अनिष्ट हो जाएगा। शनिदेव की दृष्टि से बचने के लिए घर पर उनकी मूर्ति नहीं लगानी चाहिए। अगर आप मंदिर में शनिदेव के दर्शन करने जाएं तो उनके पैरों की तरफ देखें, न कि उनकी आंखों में आंख डाल कर उनके दर्शन करें। ऐसे में यदि आप घर में शनि देव की पूजा करना चाहते हैं तो उनका मन में स्मरण करें। साथ ही शनिवार को हनुमान जी की भी पूजा करें और शनिदेव को भी याद करें। इससे भी शनि प्रसन्न होते हैं।
शनिदेव के अलावा इन देवताओं की मूर्तियां भी घर पर नहीं रखनी चाहिए-
- राहु-केतु की मूर्ति
- नटराज की मूर्ति
- भैरव की मूर्ति