Sunday, November 10th 2024

आगम दत्त नौटियाल की पुस्तक ‘मैं और मेरे संस्मरण’ लोकार्पित

आगम दत्त नौटियाल की पुस्तक ‘मैं और मेरे संस्मरण’ लोकार्पित

देहरादून : देहरादून के एक होटल में लोक निर्माण विभाग से सेवानिवृत्त उत्तरकशी जिले के गैर बनाल निवासी आगम दत्त नौटियाल की पुस्तक ‘मैं और मेरे संस्मरण’ का लोकार्पण कायक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए साहित्यकार दिनेश रावत ने कहा कि सेवानिवृत्ति के पश्चाय यह समय और श्रम का सार्थक उपयोग है। लेखक द्वारा जीवन की तमाम खट्टी-मिट्ठी बातों और यादों को सरल शब्दों में जिस ईमानदारी के साथ अभिव्यक्त किया गया, वह प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय है।

पुस्तक में प्रकाशित संस्मरण संघर्ष से उत्कर्ष की कहानी ही बयां नहीं करते हैं, बल्कि उस समय की स्थिति व परिस्थिति से भी परिचित करवाते हैं। पुस्तक में प्रकाशित कई अंश प्रेरणा के नये पथ प्रशस्त करते हैं। इस दौरान वरिष्ट पत्रकार विजेन्द्र रावत ने नौटियाल के इस प्रयास की प्रशंसा करते हुए कहा कि वो हमारे लिए रियल हीरो हैं, जिनका उल्लेख में अपनी आगामी पुस्तक में करूंगा। इस दौरान उन्होंने समारोह में उपस्थित समस्त वद्धजनों से अपील की है कि हम सभी को ऐसे ही सकारात्मक कार्यों में लगे रहने की आवश्यकता है, ताकि हम अधिक सक्रिय और स्वस्थ बने रहें।

सेवा में रहते हुए उनके विभागाध्यक्ष रहे ललित मोहन अमोली ने भी इस अवसर पर नौटियाल के कार्य एवं व्यवहार की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह बहुत ही सहज व सरल व्यक्ति रहे हैं। अपने लेखकीय सम्बोधन में आगम दत्त नौटियाल ने जैसे ही बोलना शुरू किया तो जीवन के बीते पलों को याद करते हुए वह कई बार भावुक भी हो उठे। इस दौरान उन्होंने अपने लिखे को सम्पादित करते हुए पुस्तकार में लाने के लिए दिनेश रावत व हिमांतर प्रकाशन के शशि मोहन रावत ‘रवांल्टा’ का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आप लोगों के सहयोग को मैं सदैव याद रखूंगा।

कार्यक्रम में उपस्थित पांचजन्य के आर्ट डायरेक्टर शशिमोहन रावत ‘रवांल्टा’ ने कहा कि बुजुर्ग हमारी विरासत होते हैं। इसलिए उनकी बातों को सुना व पढ़ा जाना चाहिए। इसलिए मैं यही कहना चाहता हूं कि आप सब लोग इस पुस्तक को पढ़ें और अपने सुझावों से लेखक को परिचित करवाएं।

इस दौरान नौटियाल के बाल सखा जो कक्षा-6 से उनके साथ पढ़े और अलग-अलग विभागों में सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत हो चुके हैं, भी इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे। जिनमें डख्याटगांव निवासी जबर सिंह जयाड़ा, जो वर्तमान में हरिद्वार में निवासरत् हैं, कुथनौर निवासी भगत सिंह भंडारी, केदार सिंह रौतेला तथा परिजन उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम का सफल संचालन उन्हीं के पुत्र कर्नल सुनील नौटियाल के द्वारा किया गया।