बेटे-बहू से दुखी बुजुर्ग ने डेढ़ करोड़ की संपत्ति सरकार को दान कर दी, वृद्धाश्रम में रह रहे नाथू सिंह नहीं चाहते कि अंतिम संस्कार में भी शामिल हो परिवार
मुजफ्फरनगर : बुजुर्गों पर अपने ही परिवार में दुर्व्यवहार के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से सामने आया है, जहां 80 साल के बुजुर्ग ने बेटे और बहू से परेशान होकर अपनी संपत्ति राज्यपाल को दान कर दी। 80 साल के नाथू सिंह पेशे से किसान हैं लेकिन अपने बेटे और बहू की हरकतों से बेहद दुखी हैं। नाथू सिंह का कहना है कि बेटा और बहू उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं, जिससे खफा होकर उन्होंने अपनी करीब 1.5 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति राज्य के राज्यपाल को दान कर दी है। नाथू सिंह इस कदर अपने बेटे से नाराज हैं कि वह नहीं चाहते कि बेटा और बहू उनकी संपत्ति के वारिस हों। बिरल गांव के रहने वाले नाथू सिंह फिलहाल एक वृद्धाश्रम में रह रहे हैं हैं। एक बेटे के अलावा उनकी तीन बेटियां भी हैं। उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि उनके बच्चों में से कोई भी उनकी संपत्ति का वारिस हो। नाथू सिंह कहते हैं कि शनिवार को मैंने संपत्ति को यूपी के राज्यपाल को सौंपने के लिए एक हलफनामा दायर किया था जिसमें अनुरोध किया गया था कि मेरी मौत के बाद सरकार जमीन पर एक स्कूल या अस्पताल खोले।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नाथू सिंह ने कहा कि उम्र के इस पड़ाव पर मुझे अपने बेटे और बहू के साथ रहना चाहिए था, लेकिन उन्होंने मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। इसी कारण मैंने संपत्ति को राज्यपाल को ट्रांसफर करने का मन बना लिया। ताकि इसका सही इस्तेमाल किया जा सके। वृद्धाश्रम की प्रभारी रेखा सिंह ने बताया कि नाथू सिंह अड़े हुए थे और उन्होंने अपनी संपत्ति देने के लिए शनिवार को एक हलफनामा दायर किया। वे नहीं चाहते हैं कि परिवार के सदस्य उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल हों। इस बीच, बुढाना तहसील के सब रजिस्ट्रार पंकज जैन ने कहा कि बुजुर्ग व्यक्ति का अनुरोध दर्ज किया गया है। उन्होंने हलफनामे में अपनी करीब 1.5 करोड़ रुपये की संपत्ति का खुलासा किया है जिसमें आवासीय घर, अपनी 10 बीघा खेती की जमीन और अचल संपत्ति शामिल है। यह उनके निधन के बाद लागू होगा।
बेटे-बहू से छीना अंतिम संस्कार का भी हक
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल को संपत्ति दाने करने के संबंध में बुजुर्ग ने हलफनामा भी दायर किया है। इसी के साथ बुजुर्ग ने गुजारिश की है कि उसके निधन के बाद इस संपत्ति का इस्तेमाल लोक कल्याण के लिए किया जाए। किसान का कहना है कि उसकी संपत्ति से सरकार बच्चे बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूल और मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल बनवाए। बच्चों से नाराज किसान ने कहा कि संपत्ति हमारी है और हमें ही उसकी बिक्री-खरीद को लेकर अधिकार है। हमने मर्जी से तय किया है कि हम इस संपत्ति को राज्यपाल को दान करेंगे। बुजुर्ग ने यहां तक कहा कि उसके बेटे और बहू उसके अंतिम संस्कार में भी न आए। वहीं जिस वृद्धाश्रम में बुजुर्ग रह रहा है उसकी प्रभारी रेखा सिंह ने बताया कि बुजुर्ग ने अपनी मर्जी से संपत्ति दान की बात कही थी। उन पर किसी तरह का कोई भी दबाव नहीं बनाया गया है। जिस संपत्ति का जिक्र बुजुर्ग के द्वारा किया गया उसमें घर, 10 बीघा जमीन का जिक्र है। 1.5 करोड़ की संपत्ति का जिक्र बुजुर्ग के द्वारा किया गया है।