तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगदगुरु गुरु परमहंस आचार्य के सपने में आयें हनुमान जी व गुरु वशिष्ठ, कहा शिला से मूर्ति बनने दो
अयोध्या : नेपाल से आए शिला से प्रभु श्रीराम की मूर्ति बनाए जाने पर विवाद खड़ा करने वाले तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगदगुरु गुरु परमहंस आचार्य ने अब मूर्ति बनाए जाने को लेकर सहमति जताई है, जिसे देख और सुन हर कोई हैरान है। इसके पीछे जो कारण बताया है वो और भी चौंकाने वाला है। परमहंस ने कहा कि रोज सुबह 03 बजे हनुमान जी का दर्शन होता था। ऐसे में हमें हनुमान जी ने दर्शन देते हुए कहा कि बेटा यह जो शिला है, यह शालिग्राम नहीं देव शिला है, इससे मूर्ति बनने दो।
परमहंस ने आगे बताया कि वहीं सुबह 05:00 बजे भोर में एक दिव्य संत का दर्शन हुआ। हमने पूछा कि आप कौन हैं तो उन्होंने बताया प्रभु श्रीराम के कुल गुरु श्री वशिष्ठ हैं और उन्होंने भी मुझे कहा कि जो शिला आई है, उससे रामलला की प्रतिमा बननी चाहिए। यह शालिग्राम नहीं देव शिला है। इसके बाद मेरा श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सभी ट्रस्टी से आग्रह है कि इस पत्थर से रामलला की भव्य प्रतिमा बनाकर राम मंदिर में विराजमान करें। गौरतलब है कि जगदगुरु परमहंस का कहना था कि शालिग्राम शिला पर छेनी-हथौड़ी नहीं चलाई जा सकती है। ऐसा हुआ तो दुनिया में प्रलय आ जाएगी, हाहाकार मच जाएगा, क्योंकि शालिग्राम शिला साक्षात श्री हरि विष्णु जी का स्वरूप है।