भारत की राष्ट्रपति ने उत्तराखंड के डॉ. यशवन्त सिंह कठोच को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार से किया सम्मानित
देहरादून/नई दिल्ली : भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड के डॉ. यशवन्त सिंह कठोच को आज नई दिल्ली में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया।
डॉ. यशवन्त सिंह कठोच साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। डॉ . यशवन्त सिंह कठोच एक प्रसिद्ध विद्वान हैं जिन्होंने मध्य हिमालयी क्षेत्र के इतिहास, पुरातत्व, कला और वास्तुशिल्प पर अग्रणी कार्य किया है। 89 वर्ष की उम्र होने के बावजूद डॉ. कठोच अपने क्षेत्र में सक्रिय योगदान देते रहते हैं। वह वर्तमान में अपने नवीनतम कार्य “मध्य हिमालय का शिलालेख” लिखने में लगे हुए हैं। डॉ. कठोच के काम की प्रामाणिकता उनके कार्यों को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने और प्रतियोगी परीक्षाओं में इनकी मान्यता से परिलक्षित होती है।
27 दिसंबर 1935 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के मैसोन गांव में जन्मे डॉ. कठोच ने आगरा विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल की और 1974 में प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व में ‘प्रथम स्थान’ के साथ मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद, उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय से इतिहास और पुरातत्व में पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। उनका करियर एक शिक्षक के रूप में शुरू हुआ, और अंत में वह 1995 में राज्य शिक्षा सेवा से प्रिंसिपल के रूप में सेवानिवृत्त हुए।
1973 में डॉ. कठोच “उत्तराखंड शोध संस्थान” के संस्थापक सदस्यों में से एक थे जो एक राज्य स्तरीय संस्थान है जहां उन्होंने विभिन्न पदों; संस्थान के उपाध्यक्ष और निदेशक और संस्थान के जर्नल उत्तराखंड संस्कृत के संपादक के रूप में कार्य किया। उनके अनुसंधान का प्राथमिक क्षेत्र इतिहास और पुरातत्व, कला और वास्तुकला पर केंद्रित था। 55 वर्षों से अधिक समय से उन्होंने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह उनके व्यापक कार्यों से स्पष्ट है। कुछ उल्लेखनीय हिंदी कृतियों में मध्य हिमालय का पुरातत्त्व, उत्तराखंड की सैन्य परंपरा, संस्कृति के पद चिह्न, मध्य हिमालय की कला: एक वास्तुशिल्प अध्ययन, गढ़वाल का इतिहास, उत्तराखंड का नवीन इतिहास , ईटी एटकिंसन का हिमालय के जिलों का इतिहास: एक आलोचनात्मक अध्ययन, गढ़वाली के प्रमुख अभिलेख , यशोधरा (इतिहास संस्कृति और पुरातत्व पर निबंध) और भारतवर्षीय ऐतिहासिक स्थलकोश शामिल हैं।
डॉ. कठोच को राज्य और केंद्र सरकार द्वारा सदस्य के रूप में संस्कृति एवं विरासत पर्यटन समिति, उत्तराखंड सरकार, उत्तराखंड अभिलेखागार की सलाहकार समिति, उत्तराखंड सरकार के सांस्कृतिक विभाग, संस्कृति संवर्धन समिति, उत्तराखंड सरकार, क्षेत्रीय मिशन निगरानी समिति, देहरादून सर्कल, एएसआई, स्मारकों और पुरावशेषों पर राष्ट्रीय मिशन, एएसआई, एसएलआईसी में नामित किया गया था।
डॉ. कठोच को विभिन्न पुरस्कार/ सम्मान प्राप्त हैं, जिनमें हिमालय के इतिहास संस्कृति और पुरातत्व में उत्कृष्ट कार्यों के लिए माननीय राज्यपाल द्वारा ‘प्रिंसेप पुरस्कार’ (1965) और अखिल गढ़वाल सभा द्वारा सम्मान (2002), उत्तराखंड सरकार द्वारा संस्कृत, साहित्य एवं कला परिषद द्वारा ‘वरिष्ठ विभूति सम्मान’ (2006), पहाड़ फाउंडेशन रजत सम्मान (2010), हिंदी भाषा एवं साहित्य में उत्कृष्ट कार्य के लिए हिमालय साहित्य एवं कला परिषद, श्रीनगर द्वारा प्रदान किया गया सम्मान (2021) शामिल हैं।