Wednesday, November 27th 2024

आईआईटी रुड़की एवं भिलाई ने जनजातीय अनुसंधान व भारतीय ज्ञान प्रणालियों के संरक्षण के लिए किया गठबंधन

आईआईटी रुड़की एवं भिलाई ने जनजातीय अनुसंधान व भारतीय ज्ञान प्रणालियों के संरक्षण के लिए किया गठबंधन

रूड़की : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भिलाई ने दोनों संस्थानों के बीच शैक्षणिक व अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने के लिए 29 दिसंबर, 2023 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन पर आईआईटी भिलाई में दोनों संस्थानों के प्रमुखों यानी प्रोफेसर केके पंत, निदेशक आईआईटी रूड़की और प्रोफेसर राजीव प्रकाश, निदेशक आईआईटी भिलाई द्वारा हस्ताक्षर किए गए। इस रणनीतिक साझेदारी का उद्देश्य भारतीय ज्ञान प्रणालियों (आईकेएस) को संरक्षित और बढ़ावा देना है और आदिवासी क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देना है, जिसमें पारंपरिक औषधीय पौधों, आदिवासी संस्कृति अध्ययन, आदिवासी क्षेत्रों में कृषि प्रथाओं और आदिवासी आबादी के बीच वित्तीय साक्षरता पर शोध पर जोर दिया गया है।

यह सहयोग भारत सरकार की महत्वाकांक्षी दृष्टि विकसित भारत@2047 के अनुरूप, भारतीय संस्कृति एवं विरासत के बारे में युवाओं के बीच जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा, यह साझेदारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में उल्लिखित उद्देश्यों का सक्रिय रूप से समर्थन करेगी, जिसमें शिक्षा प्रणाली में भारतीय ज्ञान प्रणालियों के एकीकरण पर जोर दिया जाएगा। आईकेएस में प्राचीन भारत से “भारत का ज्ञान” एवं आधुनिक भारत में इसके योगदान और इसकी सफलताओं व चुनौतियों और शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण आदि के संबंध में भारत की भविष्य की आकांक्षाओं की स्पष्ट समझ शामिल है। यह सहयोग माननीय प्रधान मंत्री के एक भारत, श्रेष्ठ भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप भी है।

“आईआईटी रूड़की को आईआईटी भिलाई के साथ सहयोग करने पर गर्व है, यह समझौता ज्ञापन आज की शिक्षा प्रणाली के लिए अभूतपूर्व समाधानों को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस सहयोग के माध्यम से, हमारा लक्ष्य प्राचीन और आधुनिक शिक्षा के बीच की खाई को पाटना, बुनियादी एवं अनुवादात्मक अनुसंधान दोनों की सुविधा प्रदान करना और ‘विकसित भारत’ – एक विकसित भारत के हमारे साझा दृष्टिकोण में योगदान देना है,” ऐसा आईआईटी रूड़की के निदेशक प्रोफेसर केके पंत ने कहा।

आईआईटी भिलाई के निदेशक प्रोफेसर राजीव प्रकाश ने कहा, “यह साझेदारी अनुसंधान और विकास के लिए नए अवसर पैदा करेगी। यह हमारे प्राचीन ज्ञान और हमारी विरासत को भी बढ़ावा देगा।” दोनों संस्थान ज्ञान का आदान-प्रदान करने और भारतीय संस्कृति, भारतीय ज्ञान प्रणालियों को बढ़ावा देने व टिकाऊ और ग्रामीण विकास, प्राचीन भारतीय विज्ञान, फिनटेक, स्वास्थ्य विज्ञान, कृषि, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा, जीवन प्रबंधन, पर्यावरण, नवीकरणीय ऊर्जा, खाद्य प्रसंस्करण, पर्यटन प्रबंधन, भाषाएँ, शांति व सुलह, संगीत, मानविकी और सामान्य रुचि पर परियोजनाएं विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वे संयुक्त रूप से सेमिनार/संगोष्ठी/सम्मेलन/कार्यशाला/अल्पकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने पर भी सहमत हुए हैं।

प्रोफेसर केके पंत एवं प्रोफेसर राजीव प्रकाश दोनों ने आईआईटी रूड़की और आईआईटी भिलाई की साझेदारी में इस नए अध्याय के जुड़ने पर खुशी व्यक्त की, और दोनों संस्थानों के बीच लंबे समय तक चलने वाले और पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग को बढ़ावा देने में अपनी ओर से पूर्ण समर्थन की पेशकश की। प्रोफेसर अक्षय द्विवेदी, कुलशासक, प्रायोजित अनुसंधान एवं औद्योगिक परामर्श, आईआईटी रूड़की, प्रोफेसर अनिल कुमार गौरीशेट्टी, आईकेएस समन्वयक, आईआईटी रूड़की, प्रोफेसर हर्षित सोसन लाकड़ा, सहायक प्रोफेसर, वास्तुकला एवं नियोजन विभाग आईआईटी रूड़की और प्रोफेसर संतोष विश्वास संकाय प्रभारी, डीओआरडी आईआईटी भिलाई भी उपस्थित थे।