Friday, November 22nd 2024

अपने को हर सेकेण्ड बिजी रखना ही है परिवर्तन का मूल आधार

अपने को हर सेकेण्ड बिजी रखना ही है परिवर्तन का मूल आधार
  • मनोज श्रीवास्तव

देहरादून : परिवर्तन का मूल आधार है अपने को हर सेकेण्ड बिजी रखना। कर्म के सेवा में बिजी रहने से सफलता का परिवर्तन स्वतः होता है। सदैव अन्दर यह संकल्प बना रहे कि जो भी समय है वह सेवा अर्थ ही देना है। चाहे अपने शरीर के लिए अवश्यक कार्य में समय लगाते भी है तो भी स्वयं के प्रति लगते हुए भी विश्व कल्याण की सेवा साथ साथ कर सकते है।

ऐसे ही स्वयं के प्रति समय देते हुए भी सदा यह समझे कि मै विश्व की सेवा में हूॅ। जब जैसे स्टेज पर बैठते है तो सारा समय विशेष अटेन्शन रहता है कि मै इस समय सेवा की स्टेज पर हूॅ तो इससे हल्कापन नही रहता है क्योकि सेवा का फुल अटेन्शन रहता है। ऐसे ही सदा अपने को सेवा की स्टेज पर समझने से हमारे भीतर स्वतः परिर्वतन होता है।

परिवर्तन होने का साधन है जो भी अटेन्शन देते है उसको प्रैक्टिकल में लाना। जो कुछ भी स्वयं में कमजोरी महसूस करते है वह सेवा के बाद अन्य आत्माओं के दिल से मिलने वाले आर्शीवाद से खुशी प्राप्त होती है और इस खुशी के आधार पर और बिजी रहने से हर प्रकार की कमी समाप्त हो जाती है। यह समय सिर्फ स्वंय के प्रति नही बल्कि सर्व कल्याण और सर्व की सेवा के प्रति है।

स्वयं की और सर्व की सेवा का बैंलेन्स हो तो महारथी कहलाते है। बच्चों के बचपन का समय स्वयं के प्रति होता है और बडों की जिम्मेदारी अन्य के सेवा में प्रति होती है। धोडे और प्यादे स्वयं के प्रति अधिक समय देते है। स्वयं ही कभी बिगडेगे, कभी धारण करेंगे, कभी धारण में फेल होगे। कभी किसी संस्कार से यूद्ध करेगे तो कभी दूसरे संस्कार से यूद्ध करेगे। लेकिन महारथी ऐसा नही करेगे।

अव्यक्त बाप-दादा, महावाक्य मुरली 22 जनवरी 1976

लेखक : मनोज श्रीवास्तव, उपनिदेशक, सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग उत्तराखंड

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