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दिल्ली-एनसीआर में जहरीली हवा का कहर: 80% लोग बीमार, राजधानी से पलायन की हो रही तैयारी – नई रिपोर्ट में डरावने आंकड़े

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नई दिल्ली : सर्दियों का मौसम शुरू होते ही दिल्ली-एनसीआर की हवा फिर से जहर बन गई है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘सीवियर’ कैटेगरी में पहुंच चुका है, और इसका असर न सिर्फ सांसों पर, बल्कि पूरे परिवारों की जिंदगी पर पड़ रहा है। एक ताजा सर्वे के मुताबिक, 80% से ज्यादा लोग प्रदूषण से पीड़ित हैं, जबकि 80% परिवार शहर छोड़ने की योजना बना रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे ‘अदृश्य महामारी’ बता रहे हैं, जो किडनी, हृदय और फेफड़ों को चुपचाप नष्ट कर रही है।

स्वास्थ्य पर डरावना असर: हर घर में बीमारी का साया

स्मिटन पल्सएआई की नवीनतम रिपोर्ट (नवंबर 2025) में 4,000 से ज्यादा लोगों के सर्वे से खुलासा हुआ है कि दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद में रहने वाले 80% निवासी प्रदूषण के कारण लगातार स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। इनमें क्रॉनिक खांसी, सांस लेने में तकलीफ, थकान और श्वसन तंत्र की जलन शामिल हैं।579152 लोकलसर्कल्स के एक अन्य सर्वे में 18,000 से ज्यादा परिवारों से पूछा गया कि पिछले चार हफ्तों में कितने सदस्य प्रदूषण से प्रभावित हुए। नतीजा चौंकाने वाला: 80% घरों में कम से कम एक व्यक्ति बीमार पड़ा, जबकि 40% परिवारों में चार या इससे ज्यादा सदस्यों को दिक्कत हुई।

डॉक्टरों का कहना है कि यह हवा सांस लेने के बराबर है रोजाना 10 सिगरेट पीने का। फोर्टिस हॉस्पिटल्स और सिफार के विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण किडनी पेशेंट्स के लिए दोहरा खतरा है – यात्रा के दौरान संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है, और ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो जाता है। महिलाओं में प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है, जबकि बच्चों को न्यूरोलॉजिकल नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों पर असर सबसे ज्यादा है, जहां सालाना हजारों असामयिक मौतें हो रही हैं।

राजधानी से पलायन: 80% लोग कर रहे प्लानिंग

प्रदूषण का बोझ सिर्फ स्वास्थ्य तक सीमित नहीं। वही सर्वे बताता है कि 80% लोग दिल्ली-एनसीआर छोड़ने पर विचार कर रहे हैं या पहले ही शिफ्ट हो चुके हैं। वजह? बढ़ते मेडिकल खर्च, लाइफस्टाइल में बदलाव और ‘पॉल्यूशन टैक्स’ – जैसे एयर प्यूरीफायर, मास्क और दवाओं पर होने वाला खर्च। मिडिल क्लास परिवार शिक्षा या किराने के बीच चयन करने को मजबूर हैं। स्वगत सरंगी, स्मिटन पल्सएआई के को-फाउंडर कहते हैं, “यह परिवारों के लिए असंभव फैसले थोप रहा है। गुणवत्ता जीवन नष्ट हो रही है।”

AQI का हाल: अभी भी ‘हैजर्डस’, कोई राहत नहीं

आज सुबह 1 बजे आनंद विहार में AQI 400 से ऊपर था, जो ‘हैजर्डस’ कैटेगरी में आता है। नोएडा में 413, ग्रेटर नोएडा में 443 दर्ज किया गया।2df149 PM2.5 लेवल WHO की सीमा से 20 गुना ज्यादा है।04ec23 प्रदर्शनकारी 9 नवंबर को इंडिया गेट पर उतरे, सरकार पर डेटा छिपाने और कार्रवाई न करने का आरोप लगाया।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ, आगे क्या?

विशेषज्ञों का मानना है कि स्रोत जैसे पराली जलाना, वाहन उत्सर्जन, निर्माण धूल और फैक्ट्रियां समस्या की जड़ हैं। ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) स्टेज-3 लागू है, लेकिन क्लाउड सीडिंग जैसी कोशिशें नाकाम रहीं। डॉक्टर सलाह देते हैं: घर पर रहें, मास्क लगाएं, और आउटडोर एक्टिविटी बंद करें। सरकार को सख्त कदम – जैसे पुराने वाहनों पर बैन – बढ़ाने की जरूरत है।