प्रकृति के निकट रहना हमारे मन को आराम देने का एक पुराना तरीका, आओ चलें जंगल की ओर ………
देहरादून : हमारी सभ्यता के कई शीर्ष कल्पनाकारों ने प्रकृति में बहुत समय बिताया है और उसकी गोद मे बैठकर सृजन किया है, आनन्द लिया है, प्रेम किया है और अपने जीवन को समृद्ध किया है। जंगल में लम्बी सैर। समुद्र के किनारे बैठकर एक झोपड़ी में विस्तारित घंटे बिताना। कुछ रचना करना। छायांकन करना। प्रकृति का संगीत सुनना। तारों को निहारती शांत शामें। पर्वत से उगता सुन्दर सुप्रभात! और हृदय में सहसा कविता अंकुरण! अभी हाल में ग्रीक टाइकून अरस्तू ओनासिस पर मैंने जो डॉक्यूमेंट्री देखी, उसे देखकर मुझे पता चला कि जब वह अपनी नौका पर स्टाइलिश मेहमानों का मनोरंजन करता था, तो वह सो जाता था, वह डेक पर रहता था, कॉन्यैक पीता था और बस आकाश को देखता रहता था।
प्रकृति के निकट रहना हमारे मन को आराम देने का एक पुराना तरीका है। नए शोध से पता चलता है कि प्रकृति के करीब रहना हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहतर है – और इससे हमारा जीवन भी बढ़ जाता है। हाल ही में जर्नल ‘एनवायरनमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स’ में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग “हरित” क्षेत्रों में रहते हैं, जिनके आसपास अधिक वनस्पति है, उनमें मृत्यु का जोखिम कम है। बेहतर मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक जुड़ाव और हरे भरे स्थानों के पास रहने से होने वाली शारीरिक गतिविधि जैसे कारकों के कारण स्वास्थ्य लाभ होने की संभावना बढ़ जाती है।_ तो आइये, हम किसी नेशनल पार्क में वन्यजीव अवलोकन करें या समीपवर्ती किसी झील में जल-पक्षियों का किलोल देखें। माह में कम से कम 3 दिन जँगल में रहें, इससे 30 दिन जीवन बढ़ जाता है। फॉरेस्ट रेस्ट हॉउस में रहकर पक्षी-अवलोकन करें। जीवन को प्रकृति के सामीप्य में बितायें। अपने घर को एक ‘हरित घर’ बनायें और आसपास के लोगों में हरीतिमा का सन्देश फैलायें!