Friday, November 22nd 2024

बर्फवारी के बीच तृतीय केदार श्री तुंगनाथ मंदिर कलश स्थापना तथा छतरी जीर्णोद्धार का कार्य हुआ संपन्न

बर्फवारी के बीच तृतीय केदार श्री तुंगनाथ मंदिर कलश स्थापना तथा छतरी जीर्णोद्धार का कार्य हुआ संपन्न
 
श्री तुंगनाथ/ रूद्रप्रयाग : विश्व के सबसे अधिक ऊंचाई  पर स्थित पंच केदारों में प्रतिष्ठित  तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर की छतरी का जीर्णोद्धार कार्य बर्फवारी के बीच कलश स्थापना के साथ विधि- विधान से संपन्न हो गया है। श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय के अथक प्रयासों से जीर्ण-शीर्ण हो चुकी तुंगनाथ मंदिर की छतरी का दानीदाता के सहयोग से मरम्मत कार्य संपन्न हो गया है। बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि मंदिरों के जीर्णोद्धार हेतु लगातार कार्य चल रहा है श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में कोठा भवन का जीर्णोद्धार का कार्य गतिमान है तथा श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी मंदिर की छतरी का भी जीर्णोद्धार कार्य प्रस्तावित है जबकि श्री त्रिजुगीनारायण मंदिर के प्रचार प्रसार हेतु भी कार्य हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि तुंगनाथ मंदिर की नयी छतरी का निर्माण देवदार की लकड़ी से किया गया है पहले की तरह नक्काशीदार बनाया गया है। विगत 4 सितंबर को पुरानी जीर्ण छतरी को उतारा गया था  तथा कलश को मंदिर गर्भ गृह में रखा गया था।पांच सप्ताह बाद में रविवार  नवरात्रि को छतरी बनकर तैयार हुई तथा मंदिर के शीर्ष पर स्थापित की गयी। उसके बाद सौमवार  तुंगनाथ में बारिश के बाद बर्फवारी शुरू हो गयी थी उसके बाद पूरे तुंगनाथ क्षेत्र में बर्फ की सफेद चादर बिछ गयी इसी दौरान कलश पूजा के बाद गर्भगृह से लाकर हक हकूकधारियों तथा पश्वागणों की उपस्थिति में पूजा-अर्चना संकल्प के साथ मंदिर के शीर्ष में छतरी एवं कलश को  पूर्ववत विराजमान कर दिया गया। छतरी का जीर्णोद्धार करनेवाले दिल्ली के दानीदाता  संजीव सिंघल के सहयोग से 13 लाख 65 हजार की लागत से नयी छतरी का निर्माण किया गया। कलश तथा छतरी स्थापना के दौरान भगवान महादेव, भैरवनाथ जी, भूतनाथ जी मां भगवती कालिंका अवतरित हुई तथा छतरी तथा कलश को स्थापित करने की अनुमति दी।
इस अवसर पर  मंदिर सहायक अभियंता विपिन तिवारी, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, मठापति रामप्रसाद मैठाणी, मंदिर प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, प्रबंधक बलबीर नेगी, भूतनाथ के पश्वा राजेंद्र भंडारी, मंगोली गांव के धर्म्वाण बंधु, मंदिर के पुजारी गण गीता राम मैठाणी, प्रकाश मैठाणी आदि मौजूद रहे।