Monday, November 25th 2024

चिंताजनक : आपदा से तबाह हुए किरूली के जंगल और जलस्रोत, जमींदोज हुए हजारों बांज, बुरांस और काफल के पेड

चिंताजनक : आपदा से तबाह हुए किरूली के जंगल और जलस्रोत, जमींदोज हुए हजारों बांज, बुरांस और काफल के पेड

 

गोपेश्वर (चमोली)। 13-14 अगस्त की आपदा ने बंड क्षेत्र में जो तबाही मचाई उसे भूलाया नहीं जा सकता है। इस आपदा ने  न केवल आमजन को प्रभावित किया अपितु बेजुबान को भी प्रभावित किया। आपदा ने गांव का भूगोल भी बदल कर रख दिया है। आपदा के बाद अब गांव के लोगो ने जो हकीकत बंया की है वो भविष्य के लिए बेहद चिंताजनक हैं। बंड क्षेत्र के किरूली गांव में जंगल का सबसे ज्यादा घनत्व है। जिस कारण यहां पर हरा सोना अर्थात बांज का जंगल था। इस जंगल में बांज, बुरांस, तिलंगा, काफल, उतीस, बैलाड, अखरोट सहित विभिन्न प्रजाति के पेड बहुतायत मात्रा में थे। ये पेड सैकडो साल पुराने थे। इन पेडो के कारण से ही जंगल में एक दर्जन से अधिक जलस्रोत थे जिनमें प्रचुर मात्रा में पेयजल की उपलब्धता थी। इन जलस्रोत से किरूली, भीड, गडोरा, मेहरगांव, लुंहा गांव के ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध होता था। साथ ही किरूली के जंगल से पूरी बंड क्षेत्र के ग्रामीणो को लकडी, घास के अलावा झूला घास से रोजगार भी प्राप्त होता था।

किरूली गांव के ग्रामीण प्रेम सिंह, महाबीर सिंह, मनोज, गुड्डी, सतीश, बलवंत सिंह सहित अन्य लोगो ने बताया की 13-14 अगस्त की आपदा ने किरूली के जंगल का 70 फीसदी हिस्सा तबाह कर दिया है जिस कारण से हजारो पेड आपदा की भेंट चढ गये है और एक दर्जन से अधिक जलस्रोत भी तबाह हो गये है। जिससे गांव के लोगो के सामने पेयजल का संकट गहरा गया है। अभी तो बरसाती नाले और जलस्रोत से लोग किसी तरह अपना बंदोबस्त कर रहे हैं लेकिन  बरसात के बाद स्थिति चिंतित कर देने वाली है। इसके अलावा जंगल जाने के सारे रास्ते भी नेस्तनाबूद हो गये है। ग्रामीणो के सामने अपने मवेशिंयो के चुगान का संकट भी गहरा गया है। उन्होने सरकार और वन विभाग से मांग की है कि जंगल जाने के रास्ते बनाये जाय और जंगल को बचाने के लिए दीर्घकालीन योजना बनाई जाय ताकि इस बहुमूल्य जंगल को बचाया जा सके।