Sunday, November 24th 2024

यहाँ पर धरती में समाईं थी माता सीता!

यहाँ पर धरती में समाईं थी माता सीता!

बलरामपुर : भारत के धार्मिक स्थल विशेषकर मंदिर एक से बढ़कर एक रहस्य अपने में समेटे हुए हैं। ऐसा ही एक मंदिर है उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद के पाटन गांव में सिरिया नदी के तट पर स्थित मां पाटेश्वरी का मंदिर। इस मंदिर के कारण ही इस पूरे मंडल का नाम देवीपाटन पड़ा हुआ है। मंदिर से कई पौराणिक कहानियां तो जुड़ी ही हैं। साथ मान्यता है कि यहां हर साल मां के दर्शन के लिये आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ से समझा जा सकता है। आज जानिए, मां पाटेश्वर के इस पौराणिक इतिहास और मंदिर की गाथा।

मां पाटेश्वरी का यह मंदिर अपने अंदर कई पौराणिक कहानियों को समेटे हुए है। एक कथा भगवान श्री राम और माता सीता से जुड़ी हुई है। कहते हैं कि त्रेतायुग में जब भगवान राम, रावण का संहार कर देवी सीता को अयोध्या लाए तो देवी सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा। लेकिन कुछ समय पश्चात किसी धोबी ने अपनी पत्नी को अपनाने से इंकार करते हुए भगवान राम पर कटाक्ष किया तो भगवान राम ने गर्भवती मां सीता को घर से निकाल दिया।

वन में माता सीता महर्षि वाल्मिकी के आश्रम में रहने लगी, जहां उन्होंने लव-कुश को जन्म दिया। इसके बाद लव-कुश ने अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को रोककर भगवान राम को युद्ध की चुनौती दी, जिसके बाद उनका परिचय हुआ। पिता-पुत्र के मिलन के बाद सीता को वापस अयोध्या ले जाने को भगवान राम इसी शर्त पर तैयार थे कि माता सीता पुन: अग्नि परीक्षा से गुजरें। यह बात माता सीता सहन न कर सकी और उन्होंने धरती माता को पुकारा और अपनी गोद में समा लेने की प्रार्थना की। देखते ही देखते धरती का सीना फटा और धरती माता सीता को अपनी गोद में लेकर वापस पाताल लोक को गमन कर गईं। कहा जाता है कि पाताल से धरती माता निकलने के कारण इसका नाम आरंभ में पातालेश्वरी था, जो बाद में पाटेश्वरी हो गया। मान्यता है कि आज भी वहां पाताल लोक तक जाने वाली एक सुरंग मौजूद है, जो चांदी के चबूतरे के रूप में दिखाई देती है।