उत्तराखंड: जूनियर हाई स्कूल प्रधानाध्यापकों की मांग, मिले तीसरी पदोन्नति
उत्तराखंड: जूनियर हाई स्कूल प्रधानाध्यापकों की मांग, मिले तीसरी पदोन्नति पहाड़ समाचार editor
देहरादून: राजकीय जूनियर हाई स्कूल में कार्यरत प्रधानाध्यापकों ने उनको तीन पदोन्नतियां देने की मांग की है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश के समय में प्रधानाध्यापक राजकीय जूनियर हाई स्कूल की पदोन्नति प्रति उप विद्यालय निरीक्षक के पद पर वरीष्ठता के अनुसार होती थी। लेकिन, राज्य बनने के बाद पदोन्नतियां पूरी तरह से बंद कर दी गई।
उत्तराखण्ड राज्य शिक्षक/कर्मचारी सेवा नियमावली के अनुरूप प्राविधान है कि शिक्षक/कर्मचारी को सेवा काल में तीन पदोन्नतियां दी जाएंगी। लेकिन, जूनियर प्रधानाध्यापक को दूसरी पदोन्नती में ही सेवानिवृत हो जाते हैं। प्रधानाचार्य समिति की मांग है कि नयमावली को दृष्टिगत रखते हुए उत्तराखंड में राजकीय जूनियर हाई स्कूल प्रधानाध्यापक की तीसरी पदोन्नति का लाभ सुनिश्चित किया जाये।
1-प्रधानाध्यापक राजकीय जूनियर हाई स्कूल को उप शिक्षा अधिकारी के पद पर 50 प्रतिशत पदोन्नति के रूप में अवसर प्रदान किया जाये।
2-उत्तराखंड राज्य में जिस प्रकार जूनियर हाई स्कूल के सहायक अध्यापक एवं प्राथमिक के प्रधानाध्यापक की पदोन्नति एलटी संवर्ग में 30 प्रतिशत पदों पर कोटा निर्धारित किया गया है। ठीक उसी प्रकार राजकीय जूनियर हाई स्कूल प्रधानाध्यापकों के लिए हाई स्कूल प्रधानाध्यापक पद पर 30 प्रतिशत कोटा निर्धारित कर पदोन्नति के अवसर प्रदान किये जाएं।
3-प्रधानाध्यापक जूनियर हाई स्कूल को तृतीय पदोन्नति सुनिश्चित करने हेतु प्रत्येक संकुल में संकुल शिक्षा अधिकारी 5400/ग्रेड वेतन (लेवल-10) का एक पद सृजित कर पदोन्नति का अवसर प्रदान किया जाए।
4-आदर्श जूनियर हाई स्कूलों के प्रधानाध्यापक पदों को उच्चीकृत कर 5400 ग्रेड वेतन/ (लेवल-10) वरिष्ठ प्रधानाध्यापक का पद बनाकर पदोन्नति अवसर प्रदान किये जा सकते हैं।
5-राजकीय जूनियर हाई स्कूल प्रधानाध्यापकों को डायट में वरिष्ठ प्रवक्ता 30 प्रतिशत पदों पर पदोन्नति अवसर प्रदान किये जायें, जिससे प्रारम्भिक शिक्षा के अनुभवी शिक्षकों का लाभ अन्य प्रारम्भिक शिक्षकों को भी प्राप्त हो सके।
6-वर्तमान समय में अधिकांश प्रधानाध्यापक जूनियर हाई स्कूल चयन/प्रोन्नत वेतन के अनुसार 5400 ग्रेड वेतन (लेवल-10) के स्तर पर पूर्व से ही कार्यरत हैं। उक्त पदों पर पदोन्नति प्रदान करने के फलस्वरूप सरकार पर किसी भी प्रकार का वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।
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